नात ए पाक

on Saturday 8 August 2015









ये जो तख्लीके दुनिया हे नबी की ही बदोलत है 
सना ए मुस्तफ़ा करना वज़ीफ़ा हे इबादत है 

ख़ुदा को हमने जाना हे मुहम्मद के बताने से 
उन्ही का ही करम हे ये ,ये उनकी ही इनायत है 

जहाँ में ख़ूब जपता हे तू माला शिर्क़ो बिदअत की 
तू सुन ले ग़ोर से नज्दी तेरी महशर में शामत है 

ज़ियारत ख़्वाब में होती हे उनको ही शहे दीं की 
दरुदे पाक के नगमे सजाना जिनकी आदत है 

फ़रिश्ते अर्श से करने ज़ियारत इनकी  आते हैं
गुलामाने मोहम्मद की ये अज़मत शानो शोक़त है 

ख़ुदा ने कर दिया आला मकामे आले अतहर को 
मोहम्मद के घराने की तो दो आलम में शोहरत है 

वहाँ खैरात बंटती हे यहाँ भी भीख मिलती है 
वहाँ उनका हे मोज़ज़ा यहाँ इनकी करामत है 

मोहम्मद के तवस्सुल से ख़ुदा हमको मिला हसरत 
जो आशिक़ हैं मोहम्मद के उन्ही के नाम जन्नत है