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लबों पे है मेरे हरदम तराना गौस ए आज़म का
दीवाना हूँ दीवाना हूँ दीवाना गौस ए आज़म का
करिश्मा ऐसा हे जिसको न भूलेगी कभी दुनिया
फ़क़त ठोकर से मुर्दों को जिलाना गौस ए आज़म का
अगर जलता है तो जलता रहे नज्दी ज़माने में
न छोड़ेंगे कभी नारा लगाना गौस ए आज़म का
ये चोखट क़ातिबे तक़दीर दुनिया में बनी मेरी
न छोडूंगा कभी भी आस्ताना गौस ए आज़म का
अजब है मामला उनका अजब है कैफ़ियत उनकी
ज़मीनों अर्श हैं दोनों ठिकाना गौस ए आज़म का
ब फज्ले रब वो भरते हैं सभी की झोलियाँ हसरत
सवाली है तभी तो ये ज़माना गौस ए आज़म का