हवा चल रही है

on Monday 3 September 2018
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ख़िलाफ़त में मेरे हवा चल रही है।
मगर साथ मां की दुआ चल रही है।।

ये दिल मुंतज़िर है ख़ुशी के लिए पर।
ख़ुशी मुझसे मेरी ख़फ़ा चल रही है।।

अभी तर हैं अश्क़ों से आंखें ये मेरी।
तो ग़ुरबत भी मुझ पे फ़िदा चल रही है।।

अभी इश्क़ की कुछ हरारत हुई है।
अभी मेरे दिल की दवा चल रही है ।

तुम्हारे बिना दिल का गुलशन हे सूना
गुलों से भी खुशबू जुदा चल रही है !!

मुहब्बत में दिल का ये आलम है "हसरत"।
यूं लगता है जैसे सज़ा चल रही है।।

देख लेते हैं

किसी के इश्क में खुद को मिटा कर देख लेते हैं
ये रस्ता आखरी भी आज़मा कर देख लेते हैं

उजाले की ज़रुरत जब भी हमको पेश आती हे
तेरी यादों की शम्मा को जला कर देख लेते हैं

तरसती हैं निगाहें जब तेरा दीदार करने को
तसव्वुर में तेरी सूरत को ला कर देख लेते हैं

हक़ीक़त में तुझे छूना मेरी हस्ती से बाहर है
तेरी तस्वीर से ज़ुल्फ़ें हटा कर देख लेते हैं

जिसे हमने सुनाया हे कहा उसने हमें पागल
तुम्हें भी हाल ए दिल अपना सुना कर देख लेते हैं

सुना हे तीरगी का खात्मा हो जायेगा इस से
चराग़ो में लहू अपना जला कर देख लेते हैं

थे जितने दोस्त सबको आज़मा कर थक चुके हसरत
अदू को भी गले अपने लगा कर देख लेते हैं 

रफ़्ता रफ़्ता तमाम कर देंगे

रफ़्ता रफ़्ता तमाम कर देंगे
ज़िन्दगी तेरे नाम कर देंगे

तुम भुला ही न पाओगे हमको
एक दिन ऐसा काम कर देंगे

नाम तेरे पड़ी ज़रुरत तो
अपने हिस्से का जाम कर देंगे

नफरतों का ही आसरा लेकर
तेरे दिल में क़याम कर देंगे

एक "हसरत" जो बर नहीं आयी
हसरतों को हराम कर देंगे
-शरीफ़ अहमद क़ादरी"हसरत"