१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
रसूले पाक का हमसे यही फ़रमान कहता है
वतन पे जान दे देना यही ईमान कहता है
जो मारे बेगुनाहों को मुसलमां हो नहीं सकता
ज़रा तुम खोल कर देखो यही क़ुरआन कहता है
झुके हैं ना झुकेंगे हम सितमगर सामने तेरे
हुई थी जंगे करबल जिस पे वो मैदान कहता है
मेरे असलाफ़ ने सींचा वतन को खून से अपने
उठाकर देख लो तारीख़ हिन्दुस्तान कहता है
मोहब्बत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती
मेरा दिल हर घडी मुझसे ये मेरी जान कहता है
हसी मेरी उड़ाता है या मुझसे प्यार करता है
मेरा साथी कभी दानिश कभी नादान कहता है
वतन पे हक़ बराबर है हमारा भी तुम्हारा भी
यही इन्साफ है हसरत यही मीज़ान कहता है