तमन्ना है यही मेरी यही हसरत है सीने में
मुझे उम्मीद है आक़ा बुलाएँगे मदीने में
नहीं मुमकिन डुबो दे ये भंवर मेरे सफीने को
नबी के नाम का परचम लगाया है सफीने में
अक़ीदत से जो मांगोगे मिलेगा बिलयकीं तुमको
कमी थी न कमी है मेरे आका के खजीने में
लगा ले गर इसे दुल्हन महक जाएँ कई नस्लें
बसी है ऐसी खुशबु मेरे आक़ा के पसीने में
मुझे अपने ग़ुलामों की ग़ुलामी में सदा रखना
मैं पत्थर हूँ मेरे आक़ा बदल दीजे नगीने में
कोई हसरत नहीं बाक़ी मेरे दिल में सिवा इसके
मेरी जब भी क़ज़ा आये तो आये बस मदीने में
कोई हसरत नहीं आक़ा मेरे दिल में सिवा इसके
मुझे भी मौत से पहले बुला लेना मदीने में