आशना कर दे

on Sunday 2 December 2012
अब तो पूरी ये आरजू कर दे
मैँरे दामन मे तू खुशी भर दे

दर्द देकर तू अपनी चाहत का
मुझको उल्फत से आशना कर दे

कब से हैं मुंतज़िर मेरी आखें
इन चिरागोँ मेँ रोशनी भर दे

चँद कतरोँ से अब मैँरी हरगिज
प्यास बुझती नहीँ समँदर दे

या खुदा अब तो उनके कूचे मेँ
खत्म हसरत की जिन्दगी कर दे 

उल्फत की निशानी

on Tuesday 30 October 2012
हर दिल में मुहब्बत की अब शमअ जलानी हे
अब हमको तअस्सुब की ये आग बुझानी हे

नफरत से न तुम देखो हमको ऐ जहाँ वालों
हमसे ही तो उल्फत के दरिया में रवानी हे

हे उसके ही हाथों में इज्ज़त भी ओ ज़िल्लत भी
ये कौल नहीं मेरा आयाते कुरानी हे

क्या खूब अजूबा हे देखो तो जहाँ वालों
पत्थर की ईमारत भी उल्फत की निशानी हे

अश्कों के तलातुम को रोकोगे भला केसे
खुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी हे

इस ग़म का सबब क्या हे लो तुम को बताता हूँ
हसरत के भी सीने में इक याद पुरानी हे

शायरी मिल गयी

on Saturday 13 October 2012
तुम मिले तो मुझे हर ख़ुशी मिल गयी 
यूँ लगा के मुझे जिंदगी मिल गयी 

कांच सा टूटकर दिल बिखर जायेगा 
अब इसे गर तेरी बेरुखी मिल गयी 

तेरी चाहत ने दिल को बनाया हे दिल 
क्या हुआ गर मुझे बेकली मिल गयी 

इस तरह दिल को रोशन किया आपने 
यूँ लगा रात को चांदनी मिल गयी 

सुन के आवाज़ तेरी मुझे यूँ लगा 
मेरे नगमो को अब रागनी मिल गयी 

तुझको देख तो दिल से ये आई सदा 
मुझको हसरत मेरी शायरी मिल गयी 

तूफ़ान है

on Sunday 7 October 2012
हक की खातिर लड़ते जाना बस तेरी पहचान है
सामने हर वक़्त तेरे जंग का मैदान है

ऐ वतन तेरे लिए तो हे मेरा सब कुछ फ़िदा
दिल फ़िदा हे तन फ़िदा हे उर फ़िदा ये जान है

जिस तरफ देखो वहीँ पे जल रही हैं बस्तियां
ये हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है

इस मुसीबत में खुदाया तू मेरी इमदाद कर
बीच सागर में हे कस्ती सामने तूफ़ान है

हाँ खुदा मिल जायेगा "हसरत" मिटा दूं गर खुदी
नफ्स से लड़ना मगर किसने कहा आसान है

तेरी भी रुसवाई है

दिल में तेरी याद बसी हे डसती ये तन्हाई है
फीकी फीकी लगती मुझको अब तो हर रानाई है

फिर से दिल में दर्द उठा हे आँख मेरी भर आई है
बेठे बेठे आज यकायक याद किसी की आई है

उसको भी ना चैन मिलेगा वो भी यूँ ही तड़पेगा
मेरे दिल के इस गुलशन में जिसने आग लगाई है

अब तो आजा देर ना कर तू पूछ रहे हैं सब मुझसे
किसकी ख़ातिर तुमने आख़िर महफ़िल आज सजाई है

पार उतरने की ही ख़ाहिश सबके दिल में हे भाई
पूंछे कोन समंदर से तुझमे कितनी गहराई है

रुसवा करके मुझको आख़िर तू कैसे बच पायेगा
हसरत गर बदनाम हुआ तो तेरी भी रुसवाई है

उतर जाए सफीने से

सदा आती है ये अक्सर तड़प के मेरे सीने से
तेरे क़दमों में दे दूं जां जुदा रहकर के जीने से



मोहब्बत के मुसाफिर को कभी मंजिल नहीं मिलती
जिसे साहिल की हसरत है उतर जाए सफीने से


मोहब्बत जो भी करते हैं बड़ी तकदीर वाले हैं
चमक जाती हैं तकदीरें मोहब्बत के नगीने से



तेरी यादों के जुगनू हैं तेरी खुशबू हे साँसों में
यही मोती मिले मुझको मोहब्बत के खजीने से


किसी आशिक की तुर्बत पे ग़ज़ल मैंने पढी हसरत
मुक़र्रर की सदा आई अचानक उस दफीने से

दीवार हम नहीं

on Saturday 6 October 2012
अब तो तुम्हारे इश्क में बीमार हम नहीं
उल्फ़त में अब तुम्हारी गिरफ्तार हम नहीं

उनकी ख़ुशी की चाह में हमने भी कह दिया
लो अब तुम्हारी राह में दीवार हम नहीं

दो पल जो मेरे साथ न ग़र्दिश में रह सके
उनसे तो अब वफ़ा के तलबगार हम नहीं

हालात कह रहे हें क़यामत करीब हे
ग़फलत की फिर भी नींद से बेदार हम नहीं

हमने भी अपने खून से सींचा हे ये चमन
ये किसने कह दिया के वफ़ादार हम नहीं

ज़ुल्मो सितम करे है जो मजहब की आड़ में
ऐसे गिरोह के तो मददगार हम नहीं

‘हसरत’ हमें तो प्यार ही आता हें बांटना
ज़ोरो जफा सितम के तरफदार हम नहीं

मुक़द्दर संवर गया

ग़म की भवर से मेरा सफीना उभर गया
उनसे मिली नज़र तो मुक़द्दर संवर गया


तेरी ही आरज़ू में ये गुजरी हे ज़िन्दगी
तेरी ही जुस्तजू में ये सारा सफ़र गया


दोलत गयी न साथ न रिश्ता गया कोई
सब कुछ यहीं पे छोड़ के हर इक बशर गया


माना के मुझको जीस्त में ग़म ही मिले मगर
तपकर दुखों की आंच में कुछ तो निखर गया

कहती थी दुनिया सोने की चिड़िया इसे कभी  
हसरत वो मेरे मुल्क का रुतबा किधर गया

प्यार कब मिला

चाहा था दिल ने जिसको वो दिलदार कब मिला 
सब कुछ मिला जहाँ में मगर प्यार कब मिला 

तनहा ही ते किये हैं ये पुरखार रास्ते 
इस जीस्त के सफ़र में कोई यार कब मिला 

बाज़ार से भी गुज़रे  हैं हाथों में दिल लिए 
लेकिन हमारे दिल को खरीदार कब मिला 

उल्फत में जां भी हंस के लुटा देते हम मगर
हम को वफ़ा का कोई तलबगार कब मिला 

तनहा ही लड़ रहा हूँ हालाते जीस्त से 
हसरत को जिंदगी में मददगार कब मिला 

मुझसे वादा करो तो निभाया करो

on Wednesday 5 September 2012
यूँ न मुझको सनम तुम सताया करो
मुझसे वादा करो तो निभाया करो

दर्द दिल में छुपाने से क्या फाएदा
हे अगर इश्क तो फिर जताया करो

क्या तुम्हारे हे दिल में मुझे हे पता
यूँ न मुझसे बहाने बनाया करो

चाहते  हो  अगर  छोड़  दूं  मैक़शी 
आप  अपनी  नज़र  से  पिलाया  करो 

इस तरह मिलने में कुछ खसारा नहीं
तुम मेरे ख़ाब में रोज़ आया करो

तुमको रोते हुए देख सकता नहीं
यूँ न आंसू सनम तुम बहाया करो

ज़िन्दगी   का  सनम  कुछ  भरोसा  नहीं
जब  मिलो  प्यार  से  पेश   आया   करो 

हम मिलेंगे खुदा पे भरोसा रखो
हाथ अपने दुआ में उठाया करो

कोन जाने हकीकत खुदा के सिवा
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो

मेरी उल्फत पे तुमको यकीं आएगा
अपने हसरत को तुम आजमाया करो

अब तो साए भी अपने डराने लगे

on Tuesday 4 September 2012
फिर से गुजरे वो पल याद आने लगे
भूल जाने में जिनको  ज़माने लगे

हैं वही शोखियाँ है वही बांकपन
जितने मंज़र हैं सारे पुराने लगे

कोनसी शै हे जिसपर भरोसा करें
अब तो साए भी अपने डराने लगे

उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम
हाथ अपने ग़मों के खजाने लगे

अपनी हसरत बताने  जिन्हें आये थे
वो तो अपना ही मुज़्दा सुनाने लगे 

असर कर गयी

उसकी पहली नज़र ही असर कर गयी
एक पल में ही दिल में वो घर कर गयी

हर गली कर गयी हर डगर कर गयी
मुझको रुसवा तेरी इक नज़र कर गयी

मैंने देखा उसे देखता रह गया
मुझको खुद से ही वो बेखबर कर गयी

साथ चलने का तो मुझसे वादा किया
वो तो तन्हा ही लेकिन सफ़र कर गयी

जिस घडी पड़ गयी इक नज़र यार की
एक ज़र्रे को शम्सो कमर कर गयी

हमने मांगी थी 'हसरत' जो रब से दुआ
वो दुआ अब यक़ीनन असर कर गयी

ठोकरें ज़माने की

ये सज़ा मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की
मिल रही हें बस मुझको ठोकरें ज़माने की

फैसला हे ये मेरा मैं तुम्हें भुला दूंगा
तुमको भी इजाज़त हे मुझको भूल जाने की

ख़ाब अब मुहब्बत के मैं कभी न देखूँगा
ताब ही नहीं मुझमे फिर से ज़ख्म खाने की

रह गयी उदासी हीअब तो मेरे हिस्से में
अब वजह नहीं कोई मेरे मुस्कुराने की

वो चले गए लेकिन हम न कुछ भी कह पाए
दिल में रह गयी हसरत हाले दिल बताने की

आँखों में भरे खूँ

आँखों में भरे खूँ लिए तलवार खड़ा है
करने को मुझे कत्ल मेरा यार खडा है .

आ जाये सुकूँ दिल को तू कुछ ऐसी दुआ दे 
चोखट पे तेरी आज ये बीमार खडा है
.
जाने दे मुझे मौत की आगोश मे हमदम
क्योँ बनके मेरी राह मे दीवार खडा है
.
मरकर ही सही  आज ये एजाज मिला तो
करने को मेरा आज वो दीदार खडा है
.
गर मुझको मिटाने का वो रखते हें इरादा
हसरत भी फना होने को तय्यार खडा है.