दिल से कोई दुआ नहीं देता
दर्दे दिल की दवा नहीं देता
कितना संगदिल हे वो सनम मेरा
कुछ भी ग़म के सिवा नहीं देता
मेरी क़िस्मत का डूबता सूरज
रौशनी का पता नहीं देता
लोग कहते हैं तू मसीहा है
मुझको क्यों कर शिफ़ा नहीं देता
सबकी उम्मीद बर नहीं आती
सबको सब कुछ ख़ुदा नहीं देता
एक ख़ूबी हे उसमे ए हसरत
वो किसी को दग़ा नहीं देता
दर्दे दिल की दवा नहीं देता
कितना संगदिल हे वो सनम मेरा
कुछ भी ग़म के सिवा नहीं देता
मेरी क़िस्मत का डूबता सूरज
रौशनी का पता नहीं देता
लोग कहते हैं तू मसीहा है
मुझको क्यों कर शिफ़ा नहीं देता
सबकी उम्मीद बर नहीं आती
सबको सब कुछ ख़ुदा नहीं देता
एक ख़ूबी हे उसमे ए हसरत
वो किसी को दग़ा नहीं देता
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