देख लेते हैं

on Monday 3 September 2018
किसी के इश्क में खुद को मिटा कर देख लेते हैं
ये रस्ता आखरी भी आज़मा कर देख लेते हैं

उजाले की ज़रुरत जब भी हमको पेश आती हे
तेरी यादों की शम्मा को जला कर देख लेते हैं

तरसती हैं निगाहें जब तेरा दीदार करने को
तसव्वुर में तेरी सूरत को ला कर देख लेते हैं

हक़ीक़त में तुझे छूना मेरी हस्ती से बाहर है
तेरी तस्वीर से ज़ुल्फ़ें हटा कर देख लेते हैं

जिसे हमने सुनाया हे कहा उसने हमें पागल
तुम्हें भी हाल ए दिल अपना सुना कर देख लेते हैं

सुना हे तीरगी का खात्मा हो जायेगा इस से
चराग़ो में लहू अपना जला कर देख लेते हैं

थे जितने दोस्त सबको आज़मा कर थक चुके हसरत
अदू को भी गले अपने लगा कर देख लेते हैं 

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